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Monday, July 21, 2014

इक दुआ ..

इक दुआ उस जान को 

जो गर्भ में अभी है पल रही 

इक दुआ उस  बच्ची को 

जिसने अभी है जन्म लिया 

इक दुआ उस लड़की को 

जो घर से अभी अभी निकली अकेली 

इक दुआ उसको भी 


जो घर पर भी सुरक्षित नहीं 

इक दुआ उस औरत को 

जो रोज़ लोहा ले रही 

इक - इक करके दुआएँ जुड़ें 

लाखों करोड़ों हो जाएँ 

और बच जाएँ ये बच्चियाँ 

दरिंदों की निगाहों से 

इक दुआ मेरी जुडी है 

क्या दुआ तेरी जुड़ेगी ??


*****

उसी तरह ।

सिलसिला वो आज भी जारी है उसी तरह ।
तेरी याद मेरी नींद पर भारी है उसी तरह ।।

कटे थे पल बिछुडकर आंसूओं के साथ जो ।
आज की ये रात फिर गुजारी है उसी तरह ।।

तू भूल जाना चाहता है तो भूल जा मुझे मगर ।
मुझको वो यादें आज भी प्यारी है उसी तरह ।।

छोडकर जैसे मुझे चला गया उस रोज तू ।
आज भी वो जिन्दगी हमारी है उसी तरह ।।

जिस शौक से नसो मे जैसे नशा उतारा जाता है ।।
सीने मे तेरी याद मैने उतारी है उसी तरह ।।

करता हूँ बीते वक्त से बातें मै रोज बैठकर ।
तस्वीर वही सामने तुम्हारी है उसी तरह ।।

वो सूरत जिसमे देखता था मैं खुदा कभी ।
तेरा अक्स मेरे जैहन पर तारी है उसी तरह ।।


Written by nirmal singh


                        * * * * * 

Sunday, July 6, 2014

जरूर लौटोगी..


तुम तो कायर निकले 

भाग निकले एक झूठ से डरकर 

झूठ ना था तो क्या था ?

और अगर सच था तो और भी बड़ी कायर 

क्यूंकि जो सच का भी सामना न कर सकी
 
वो कैसी tigeress 

और जो झूठ की फूँक से बूझ गयी 

वो भी कैसी ज्योति 

बजाए आईने को साफ़ करती 

तुमने तो आईने को ही तोड़ दिया
 
लेकिन मैं ये जानना चाहता हूँ कब तक 

कब तक भागोगी ऐसे ?

ये तो जिन्दगी है

 रोज ऐसे ही किस्से घटेंगे इसमे 

जीवन के अन्त तक 

तुम्हारे गढ़े  शब्दों को पढ़ता था तो लगता था
 
क़ोई है जो लोहा ले रहा है 

जिंदगी के गमो से और 

और दिखाकर अँगूठा हर  गम को मुस्कुराता रहता है
 
पर ये क्या तुम तो खुद ही झूल गई 

झूठ की रस्सी पर फाँसी 

अपनी ही कलम के लिखे शब्दों की लाज न रख पाई तुम 

इतनी कमजोर निकलोगी 

तुम तो आर्टिस्ट थी 

फिर क्यूँ अपनी ही बनाई हुई तस्वीर से डर भागी ?

जो शोलों पर चलने की बात करती थी 

वो माचिस की डिबिया से डर गयी 

ये कैसा इल्जाम ले लिया तुमने 

अपनी ही फेवरिट तस्वीर पर 

अब कैसे सामना करोगी  परछाई का रोशनी में 

और कब तक रहोगी अन्धेरे की 

दीवार के साये में छिपकर

मैं तो दोस्त था, अगर गलत था 

तो बुरा भला कहती, कान मरोड़ती ,  नाराज होती

मै मनाऊंगा ये सोचती 

मै मनाता तो क्या अगर मुझे मनाना नहीं आता 

मगर मैं तस्वीर इतनी धूंदली नहीं होने देता 

अगर तुम गलत थी तो बताती 

सवांरती अपनी गलती 

तरीका तो ये होता दोस्ती की तस्वीर साफ़ रखने का 

मैं तो दोस्त हूँ अच्छे वाला, सच्चे वाला 

इन्तजार करूंगा हर आने वाले कल तक 

इस यकीन के साथ की तुम लौटोगी

नई बात के साथ नए हालात के साथ 

एक सवाल के साथ, एक जवाब के साथ 

जरूर लौटोगी ।। 

nemmy 





















Thursday, March 13, 2014

वतन-ए-वफ़ा..



वतन-ए-वफ़ा होती है क्या यही सोच रहा था। 

पैसा-ए-जेब सत्ता का नशा यही सोच रहा था ।।

कोई  आएगा मसीहा, इसी इन्तजार में ।
करते है हर दिन नया, यही सोच रहा था ।। 

मैं जिधर भी गया मुझे, वहीँ आईने मिले ।
मैं बदलूं तो बदले हवा, यही सोच रहा था।। 

मिलेंगे दिल, गले मिलेंगे, मोहबतें होंगी ।
आएगा कब ये हौसला, यही सोच रहा था ।।

मै देखता हूँ तो वो, मुँह फेर लेता है।
चुभती है क्या मेरी निगाह, यही सोच रहा था।। 

हिन्दू नहीं, मुस्लिम नहीं, दिल भारतीय़ हो।
शुरू हो कब ये सिलसिला, यही सोच रहा था ।।



Wednesday, March 12, 2014

तूझको देखूं खुदा...



तूझको देखूं खुदा देखूं
तूझको छू लूं खुदा छू लूं
तूझको पा लूं खुदा पा लूं
यही मेरा आलम है आजकल
मेरे ख्वाबोँ के समन्दर मे
सिर्फ तेरी ही यादोँ का पानी है
मेरी उमीद की सरहद
तुझ तक ही सिमटी है
मै खुद से बातेँ किया करता हूँ
सिर्फ तेरी ही हरकतोँ की
मेरे दामन के किनारो तक
तेरी यादोँ का ही आँचल है
मेरी साँसो की चार दीवारी पर
चढा है रंग तेरी यादोँ का ही
अपनी हर हरकत को लिखवाकर तूने
कितनो को शायर बना डाला
मै तूझसे दूर हूँ
मगर कभी लगा ही नही
तेरी करीबी का स्वाद
अभी तक बदन पर चिपका है ।।

Thursday, February 20, 2014

लख्ते जिगर के...

लख्ते जिगर के कौने की गहराई के गाढ़े लहू की बूँद की स्याही लेकर लिखा हुआ शेर अर्ज किया है..

 
देखूं उनको किसी और के पहलू में खुदा करे। 
मौत  आए  मगर  वो  वो   लम्हां  ना आए ।। 

Saturday, November 30, 2013

Love is not thing..

Love is not the name of a thing, it is the name of feeling. 
Feeling which we feel, 
feeling in which we fall, 
feeling in which we fly, 
feeling in which we formed, 
feeling in which we finished, 
feeling which flap, feeling which we fix, feeling which we fun, feeling which we focus, 
feeling which we frail, 
feeling which we framed, 
feeling which we fired, 
feeling which we freezed, AND 
FINALLY FEELING IN WHICH WE f***  .